दीपक प्रकाशन हिंदी आशुलिपि डिक्टेशन
प्रश्न पत्र s/1996
परस्पर ना लड़ो हम लोगों के अतिरिक्त जो कोई भी इसे देखता है, उसे बुरा कहता है।
महाशय जी ,आप किसी की मुसीबत को क्या जाने। हमको तो सिर्फ परमात्मा का ही भरोसा है। यदि वह सहायता ना करता तो अब तक मैं तुम्हारा शिकार बन गया होता।
काउंसिल से कई मेंबरों ने जेल का निरीक्षण कराने पर अपनी राय पेश कर दी।
आज के साधारण जलसा में कई प्रश्नों पर अच्छा वाद विवाद रहा। नगर में जल, बिजली, जेल आदि के प्रबंध पर बहुत अच्छी रही।
इस किस्म का कोई अच्छा उदाहरण खोज निकाले सुबह उठकर सबक याद करना चाहिए, यह जीवन के लिए जरूरी है। विद्या से संबंध रखने वाले समाज को इस और सब लोगों का ध्यान खींचना चाहिए।
वह यहां ,वहां ,जहां ,कहीं भी हो सका गया, पर मार खाने के सिवा और कुछ नहीं पाया। ईश्वर स्वता कुछ नहीं करता लेकिन वह हमारे तुम्हारे या उनके द्वारा सारा काम कराता है।
उसने उसकी कलम और उसकी स्याही से आप कई तस्वीर खींची। ना तुमको बुलाया ना तुम्हारे पास आया।
ऐसा काम ना करो कि लोग बुरा कहे। ईश्वर से जरा डरो। शासक को रात दिन बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ता है, शासन करना कुछ खेल नहीं है।
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प्रश्न पत्र 1997
लालची आदमी सदा मारा जाता है। तुम कौन हो? तुम्हारा क्या नाम है? वह बहुत बड़ा आदमी हो गया है। अब बात बात में बिगड़ जाता है। हम सरस्वती को हासिल करेंगे यह हमने पहले ही से निश्चय किया है।
सामने जो लाला साहब लंबी छड़ी लिए खड़े हैं, उनके द्वारा कई ऐसे काम हुए हैं जिनको आज छोटे बड़े सब मानते हैं।
मैं इतना काम तो तुरंत ही कर सकता हूं ।मेरे नीचे और भी बहुत से काम करने वाले आदमी हैं ,जो तमाम कामों को बड़ी आसानी से कर सकते हैं
चिराग के तले हमेशा अंधेरा ही रहता है। एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह बहुत गरीब परिवार की थी। लोगों की मजदूरी करके अपना पेट पालती थी। जब उसके पास कुछ पैसा हो गया तो उसने उन पैसों से एक मुर्गी मोल ली।
वह वह मुर्गी रोज एक अंडा दिया करती थी। बूढ़ीया उसको बेचकर अपना काम चलाती थी। 1 दिन बुढ़िया ने सोचा कि मुर्गी का पेट चीरकर सारे अंडे निकाल कर रख लेना चाहिए। जिससे बहुत सा दाम मिल जाएगा।
यह सोचकर उसने मुर्गी को पकड़कर छूरी से उसका पेट चीर डाला। मगर वहां एक अंडा भी ना निकला तब तो बुढीया को बहुत अफसोस हुआ और पछताने लगी।
इससे हम यह पता चलता है कि, लालच एकदम बुरी बला है और हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए।
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नोट -
डिक्टेशन लिखते समय आवश्यक है कि प्रतियोगी परीक्षार्थी को पूर्ण रूप से एकाग्र चित्त होकर डिक्टेशन लिखना चाहिए डिक्टेशन लिखते समय कितने समय के लिए एकाग्रता भंग होगी उतनी ही कृपया होगी डिक्टेशन का अनुवाद करते समय किसी अन्य सहयोगी की मदद बिल्कुल नहीं लेनी चाहिए जरूरी नहीं है कि आपके पास बैठे व्यक्ति को शब्द की सही स्थिति का ज्ञान हो पूरा अनुवाद आत्मनिर्भर होकर ही करना चाहिए।
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