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शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

दीपक प्रकाशन हिंदी आशुलिपि डिक्टेशन

 

दीपक प्रकाशन हिंदी आशुलिपि डिक्टेशन



प्रश्न पत्र s/1997

स्वराज्य को प्राप्त करना कुछ हंसी खेल नहीं है। इसकी आराधना करने वाले ना तो स्वास्थ्य की परवाह करते हैं, ना तंदुरुस्ती की।
 क्या तुमको यह स्वीकार है? यदि नहीं तो कोई दूसरे ही रास्ते पर बढ़ो। आखिर तुम को स्वयं ही कुछ तो करना ही चाहिए।
 सर्वत्र ही स्वतंत्रता की धूम मची रही है। लोग खुले दिल इस की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। इधर-उधर जिधर देखो उधर ही लोग अपनी जान की भी परवाह ना कर इस आंदोलन में भाग ले रहे हैं।
 महाशय जी आप किसी की मुसीबत को क्या जाने। हमको तो सिर्फ परमात्मा का ही भरोसा है। यदि वह सहायता ना करता तो अब तक मैं तुम्हारा शिकार बन गया होता।
 वह चूहे को चूहे दानी समेत उठा ले गया। इसमें अचंभे की क्या बात है। ऐसा तो वह पहले भी कई बार कर चुका है। जाओ और चूहे दानी समेत उसको बुला लो। 
हिंदू और मुसलमानों में जो रोज बारंबार झगड़े होते हैं, इसके कई कारणों में से एक मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा जैसी संस्थाओं का होना भी है।
 अब इन झगड़ों को समाप्त करना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। सेहत में तो बैठे-बैठे झगड़ा करना अच्छी बात नहीं इस विषय में तुम्हारी क्या सम्मति है।

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प्रश्न पत्र 1998

 एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह बहुत गरीब थी लोगों की मजदूरी करके अपना पेट पालती थी। जब उसके पास कुछ पैसा हो गया तो उसने उन पैसों से एक मुर्गी मोल ली।
 यह मुर्गी रोज एक अंडा दिया करती थी। बुढ़िया उसको बेचकर अपना काम चलाती थी। 1 दिन बुढ़िया ने सोचा कि मुर्गी का पेट चीरकर सब अंडे निकाल लेना चाहिए। जिससे बहुत सारा अंडा मिले। यह सोचकर उसने मुर्गी को पकड़कर उसका पेट चीर डाला। मगर वहां एक अंडा भी ना निकला। तब तो बुढ़िया को बहुत अफसोस हुआ।
 महाशय जी आप किसी की मुसीबत को क्या जाने, हमको तो सिर्फ परमात्मा का ही भरोसा है। यदि वह सहायता ना करता तो अब तक मैं तुम्हारा शिकार बन गया होता।
 वह चूहे को चूहे दानी समेत उठा ले गया। इसमें अचंभे की क्या बात है। ऐसा तो वह पहले भी कई बार कर चुका है। जाओ और चूहे दानी समेत उसको बुला लो। आज के साधारण जलसा में कई प्रश्नों पर अच्छा वाद विवाद रहा। नगर में जल ,बिजली, जेल आदि के प्रबंध पर बहस रही। शुरू में तो कुछ गर्मा- गर्मी रही परंतु जल्दी ही सारा काम खत्म हो गया।

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प्रश्न पत्र 1999

सामने जो लाला साहब लंबी छड़ी लिए खड़े हैं ,उनके द्वारा कई ऐसे काम हुए हैं जिनको आज छोटे बड़े सब मानते हैं। अतः पहले उनकी बात और बाद में उनके साथी की बात मानी जाती है।
 सुबह उठकर सबक याद करना चाहिए, यह जीवन के लिए जरूरी है। विद्या से संबंध रखने वाले समाज को इस और सब लोगों का ध्यान खींचना चाहिए।
 दान में रुपया, गाय आदि सब कुछ देना चाहिए। इसके सबब से महत्वपूर्ण दान तथा धन मिलता है। रात- दिन ,औरत- मरद, जब कभी समय मिले, थोड़ा बहुत ,जो कुछ हो सके यह काम करें। इस तरह हाथ जोड़े जिससे मालूम हो मानो और कोई काम से कुछ मतलब ही नहीं है। तब अच्छा फल होता है। 
सुंदरवन एक जंगल है इसमें कई किस्म के जानवर कुछ छोटे कुछ बड़े रहते हैं। जो जिसको पाता है ,खा जाता है। कोई किसी का विचार नहीं रखता। जिस तरह के जानवर वहां रहते हैं, उनसे किसी तरह भी जान छुड़ाना मुश्किल है। 
उसने उसकी कलम और उसकी स्याही से अपने कई तस्वीर खींची। ना तुमको बुलाया, ना तुम्हारे पास आया। यह मुझ में कमी थी कि मैंने तुमको ना तुम्हारी बहन को इसकी कोई सूचना दी।

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नोट -
1- डिक्टेशन लिखते समय यह आवश्यक है कि प्रतियोगी/ परीक्षार्थी पूर्ण रूप से एकाग्र चित्त होकर डिक्टेशन लिखना चाहिए। डिक्टेशन लिखते समय जितने समय के लिए एकाग्रता भंग होती है उतनी ही त्रुटियां अधिक होगी।

2- डिक्टेशन का अनुवाद करते समय किसी अन्य सहयोगी की मदद बिल्कुल नहीं लेनी चाहिए। जरूरी नहीं है कि आपके पास बैठे व्यक्ति को शब्द के सही स्थिति का ज्ञान हो। अतः पूरा अनुवाद आत्मनिर्भर होकर ही करना चाहिए।

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