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बुधवार, 25 अगस्त 2021

दीपक प्रकाशन हिंदी आशुलिपि डिक्टेशन (शब्द चिन्ह)

  दीपक प्रकाशन आशुलिपि डिक्टेशन (शब्द चिन्ह)

अभ्यास-1

अध्यक्ष महोदय, मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं। और वह यह है कि उसने उसको जो एक पैसा दिया वह बहुत बड़ी बात नहीं हो सकती है, और ना बाद में बुरी बात होती, परंतु अब वह एवं तुम ना जाने कब आप आओगे जिस तरह भी हो उनको साथ लेकर अतिशीघ्र आना, नहीं तो इसका नतीजा क्या होगा। मैंने आपसे कहा था, और वैसा ही हुआ वहां यहां वहां जहां कहीं भी हो सका गया पर मार खाने के सिवा कुछ नहीं पाया। इससे प्रतीत होता है कि ईश्वर स्वता कुछ नहीं करता लेकिन वह तुम्हारे या हमारे द्वारा सारा काम कराता है, और यदि वह चाहे तो सब कुछ अच्छा हो सकता है, और छोटे बड़े का अंतर भी समाप्त हो सकता है। वह न जाने कहां गया था वहां से भांति-भांति और तौर-तौर के खिलौने इत्यादि अत्यंत सस्ते दाम पर लाया। अब क्या आशा की जाएगी सब खुश होंगे।
                    सामने जो लाला साहब लंबी छड़ी लिए खड़े हुए हैं उनके द्वारा कई ऐसे काम हुए थे जिनको आज छोटे बड़े सब मानते हैं, अतः पहले उनकी बात और बाद में उनके साथी की बात मानी जाती है। सुबह उठकर सबक याद करना चाहिए यह जीवन के लिए जरूरी है। विद्या से संबंध रखने वाले समाज को इस ओर सब लोगों का ध्यान खींचना चाहिए। दान में रुपया गाय आदि सब कुछ देना चाहिए इसके शब्द से संपूर्ण राम तथा धन मिलता है। रात- दिन औरत- मर्द को जब कभी समय मिले थोड़ा- बहुत जो कुछ हो सके ऐसा काम करें जिससे मालूम हो कि कुछ अच्छा हो रहा है।
                            मैं कहता हूं जो तुम्हें कहना चाहिए कि किताब उठा कर देखो वास्तव में पास हो सकते हो, ताकत कभी नहीं समाप्त होती है केवल वक्त बदल जाता है। अथवा एकदम से परिवर्तन आ जाता है इन चीजों को ज्यादा इकट्ठा नहीं करना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो उनकी शिकायत करो हो सके तो नेता से नाता जोड़ो और नीति की बातें सीखो, नहीं तो उस दिन तक नीचे गिर ना कोई नया कार्य नहीं है। आवश्यकता हो तो राम कि नहीं काम क्यों नहीं करते। इन तमाम बातों में ताज्जुब करने की कोई बात नहीं है, तुरंत तनीक या 2 गुना, 3 गुना, 4 गुना, जितना का जितना, ज्यों का त्यों  क्यों नहीं लौटाते या फिर आप कितना लौट आना चाहते हैं? प्रायः लोग प्रत्येक कार्य को प्रतिकूल परिस्थितियों में साहस पूर्वक ना करके छोड़ देते हैं तथा एक तरफ हो कर अच्छी तरह तरकीब क्यों नहीं निकाल लेते ऐसा करना करीब-किनारे तक न पहुंचने का कारण नहीं हो सकता है।


दीपक प्रकाशन आशुलिपि डिक्टेशन (शब्द चिन्ह)

अभ्यास -2

अब तुम मेरे पास आओ और अपना प्रकरण पेश करो। आपस में झगड़ना पेस्तर बाहर के लोगों का काम नहीं होना चाहिए। यह खराब बात है देर रात घर आना और धीरे-धीरे काम करना तथा परिवार से दूर रहना या इधर-उधर ,जिधर -जिधर भटकना अच्छा नहीं होता। कल काला नाग केवल मुश्किल का कारण था। काबिल लोग उसे निकाल लाए हैं नहीं तो वह विला जाता बल्कि वे लोग बिल्कुल ठीक समय पर मेंबर सहित अपने नंबर पर आ गए। इस हफ्ता अपना हिस्सा हमेशा की तरह क्यों नहीं बांटा। हिंदुस्तान का हिंदू हिंदी बोलना ज्यादा ठीक समझता है। 
                           अधिक जल गिरने के कारण सारा जलसा बेकार हो गया और जल्दी बिजली ना आने से जेल के पास अंधेरा सा हो गया तथा साधारण लोग सारा सा मान नहीं ला सके। सबेरा होते ही सर्व धर्म सर्वधर्म शुरू हो गई। राम आ गया। पिताजी आए ,सोहन आता होगा। वैसे सभी को आना चाहिए। आप आओ मामा जी आप भी आइए। स्वराज्य प्राप्त करने में स्वयं स्वतंत्र भाव से लोग लगे थे, एवं इसका स्वरूप भी स्वीकार कर स्वतंत्रता प्राप्ति का प्रस्ताव बनाकर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे थे। अति सर्वत्र खुशियां ही खुशियां थी। लेकिन अंग्रेज त्रस्त होकर प्रस्थान करने की तैयारी कर रहे थे। जनता परिवार समेत क्षेत्र में सहायता समिति सहित कर रही थी और वह लोग कर रहे थे। मुझे भी बारंबार परतंत्रता की याद आती थी और सोचता था परमात्मा कब यह राज्य समाप्त हो।
                 कई महाशय, मुसीबत उस कर रहे थे तथा कई मुसलमान पाकिस्तान को मुस्लिम उत्पन्न करने की तैयारी में थे।
       अगर अंग्रेज बगैर के भी भारत छोड़ देते तो युवक यथार्थ में संतोष प्राप्त करता किंतु अंग्रेजी तो कठिन परेशानी खड़ी कर दी थी। और उसके बीच में एक ऊंचा मकान बना हुआ कार्य परसों नहीं वर्षो में पूरा होगा। परस्पर मेल रखो अर्थात इसका भी कोई आंतरिक उदाहरण खोजो। खाना खाते वक्त इधर-उधर मत देखा करो। इसका तरह इस तरह देखना बुरी आदत होती है।
                 अखबार पढ़ो खूब मेहनत करो तभी आपको मदद कोई करेगा। यह कैसी अद्भुत बात है कि फिर उस पर दफा लगा दी आप उस में या इस में फर्क ही क्या रहा ? अंतर तो तब होता जब अधिकतर लोग अंदर ना होकर अन्यत्र चले जाते। इसमें विपत्ति की क्या बात है अपना व्यापार बंद करके घर चले जाओ। क्यों परेशान होते हो, वाजिब दाम लेकर संपत्ति भेज दो विधि विरुद्ध जाने की क्या जरूरत। विद्वान लोग विद्या अर्जन करने के लिए विद्यार्थी बनकर विषय प्रारंभ कर देते हैं और अपनी न्यू मजबूत पर अटकल एवं उल्टा अर्थ नहीं लगाते।

नोट -

इन प्रारंभ के 2 अभ्यासो प्रतिदिन अभ्यास करना अत्यंत लाभकारी है क्योंकि इससे संपूर्ण शब्द चिन्ह का सतत अभ्यास बना रहेगा।

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